संज्ञेय अपराध क्या होता what is Cognizable Offence
संज्ञेय अपराध क्या होता what is Cognizable Offence
Cognizable Offence
Cognizable Offence, Criminal Procedure Code,
1973 की धारा 2 (c) ये बताती है की ऐसे
अपराध है या मामले है जिनमे पुलिस अधिकारी, अपराध करने वाले को
बिना वारंट के अरेस्ट कर सकता है और first Information report दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर सकता है इसके लिए उसे कोर्ट की पहले से
परमिशन लेने की आवश्यकता नहीं होती
Cognizable Offence मुख्य रूप से गंभीर होते है जैसे
MURDER
RAPE
KIDNAPPING
THEFT
DOWRY DEATH आदि कोग्निज़ब्ले ओफ्फेंस के कुछ उदाहरण है
Cognizable Offence
Cognizable Offence होने पर पुलिस बिना वारंट के
अरेस्ट करती है और अरेस्ट करने के बाद पुलिस मुजरिम को एरिया मजिस्ट्रेट के सामने
मुजरिम को पेश करती है और इन्वेस्टीगेशन शुरू करती है इन्वेस्टीगेशन होने के बाद
पुलिस अपने तह समय में charge sheet file करती है और इसके बाद मजिस्ट्रेट charge frame करने के बाद trial शुरू
करता है और यदि magistrate
को यह पता चलता है की इस case का मुकदमा Session Court में ही चलेगा तो मजिस्ट्रेट उस case को Session Court में Commit (Transfer) कर देता
है इसके बाद गवाहों के बयान लेने के बाद (गवाई होने के बाद) कोर्ट अपना फाइनल आर्डर देती है
Cognizable Offence, bailable or non bailable दोनों हो सकते है
Cognizable Offence ही ऐसे अपराध है जिनमे पुलिस
को F I R दर्ज कने के लिए मजिस्ट्रेट के आर्डर की जरुरत नहीं होती ही यदि अपराध
होने की सुचना (Complaint) मिलती है और ये Complaint को
देखते ही यह पता चलता है या ये दर्शाती है की एक Cognizable Offence हुआ है तो
पुलिस Criminal procedure
Code की धारा 154 के तहत F
I R दर्ज करना अनिवार्य है और इसके लिए पुलिस
को प्रारभिक जांच करने की आवश्यकता नहीं है
IN LALITA KUMAR VS STATE OF UP, THE SUPREME COURT OF
INDIA HELD THAT
i) Registration of FIR is
mandatory under Section 154 of
the Code, if the information discloses commission of a cognizable offence and
no preliminary inquiry is permissible in such a situation.
ii) If the information
received does not disclose a cognizable offence but indicates the necessity for
an inquiry, a preliminary inquiry may be conducted only to ascertain whether
cognizable offence is disclosed or not.
iii) If
the inquiry discloses the commission of a cognizable offence, the FIR must be
registered. In cases where preliminary inquiry ends in closing the complaint, a
copy of the entry of such closure must be supplied to the first informant
forthwith and not later than one week. It must disclose reasons in brief for
closing the complaint and not proceeding further.
iv)The police officer cannot avoid his duty of registering offence if
cognizable offence is disclosed. Action must be taken against erring officers
who do not register the FIR if information received by him discloses a
cognizable offence.
v) The
scope of preliminary inquiry is not to verify the veracity or otherwise of the
information received but only to ascertain whether the information reveals any
cognizable offence.
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